Self help group shg kaise bnaye
समाज के आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए आज हम सभी Self help group shg kaise bnaye,स्वयं सहायता समूह कैसे बनायें इसके विषय में सभी जानकारी को बहुत ही अच्छे से जानेंगे।
यह हमारे ग्रामीण क्षेत्र के साथ शहरी से लगे लोगों के भी अत्यंत ही लाभदायक साबित हुआ है। Self Help Group एक ऐसा सामाजिक वित्तीय संगठन, ईकाई या समूह है जो स्वयं के माध्यम से स्वयं की सहायता के लिए कार्य करता है।
एक प्रकार से यह हमारी स्वयं बैंक होती है। इसके सदस्य स्वयं के माध्यम से स्वयं के लिए आर्थिक सहायता फाईनेन्स प्रदान करने वाले होते हैं।
निर्माण के आरम्भ में लगभग छ: माह से बारह माह तक यह स्वामित्व संस्था के रुप में होती है। किन्तु इस समय के बाद इसके अच्छे परदर्शन को देखते हुए।
सरकार के द्वारा बैंकों के माध्यम से इसे फाईनेन्स की सुविधा प्राप्त हो जाती है। यही इसका वास्तविक अर्थ या आशय है। और सही शब्दों में शुद्ध परिभाषा है।
स्वयं सहायता समूह का महत्व
जिससेे बहुत ही कम ब्याज दर पर बैंक से लोन के रुप में प्राप्त होता है। अर्थात हमारे स्वयं के छोटे से प्रयास से आर्थिक सहयोगी के रुप में, स्वयं हमारी छोटी सी वित्तीय ईकाई हमारे साथ सदैव खडी रहती है।
और साथ ही समयानुसार बैंक भी हमारे साथ एक अतिरिक्त आर्थिक सहयोगी संस्था के रुप में सहयोग को सदैव तत्पर रहती है।
अतः इन वित्तीय ईकाईयों के हमारे साथ निरन्तर खड़े रहने से एक आत्मीक भरोसा एवम्ं साहस का सुखद अनुभव होता है।
क्योंकि आज के समय में कोई भी किसी की आर्थिक सहायता करने के लिए सहजता से तैयार नहीं होता है। वह स्वयं में भयभीत रहता है कि उसकी राशि सुरक्षित है या नही।
SHG के हमारे जीवन में लाभ
इस ईकाई के माध्यम से इसके प्रत्येक सदस्य को आर्थिक आवश्यकता पड़ने पर किसी अन्य से सहयता के लिए अनुरोध नहीं करना पड़ता।
वह स्वयं ही स्वयं के लिए फाईनेन्सर होते हैं। जो किसी भी समय तुुरन्त आर्थिक सहयता प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से उनको और जादा आर्थिक बल प्राप्त होता है।
जो किसी के लिए जीवन में प्रमुख आवश्यकता होती है। और इसके द्वारा सरलता एवम्ं सहजता से एक दूसरे की सहयता हो जाती है।
यह हमारे जीवन के लिए एक आदर्श वित्तीय ईकाई सिद्ध हो सकती है। और हमारे लिए यह एक आर्थिक शाक्ति के रुप में कार्य करती है।
किन्तु सफलतापूर्वक सुचारु से इसका संचालन करने के लिए इसके प्रत्येक सदस्य को अपनी स्वयं की जिम्मेदारी के प्रति सदैव प्रतिबध्य रहना चाहिए।
तभी इस छोटी वित्तीय ईकाई को सरलता और सुव्यवस्थित रुप से सफलता पूर्वक चलाया जा सकता है। यह इसकी प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है।
इसकेेे प्रति पूर्ण रुप से ईमानदारी एवम्ं समर्पित भाव से सहयोग करना परम आवश्यक है। क्योंकि इसके बिना इस छोटी इकाई का संचालन सम्भव नहीं है।
महिला सशक्तिकरण, आर्थिक रुप से सबल बनाकर उनको एवम्ं जनमानस को विकास की मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से यह योजना सरकार के माध्यम से चलाई गयी है।
स्वयं सहायता समूह की योजना क्या है
महिला सशक्तिकरण और रुप से सबल बनाकर उनको एवम्ं जनमानस को विकास की मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से यह योजना सरकार के माध्यम से चलाई गयी है।
सामुहिक रुप से छोटी से छोटी बचत कर जीवन को बेहतर कर सकें। महिलाऐं ही इस योजना का केंद्र बिंदु हैं। किन्तु पुरुष भी इसका निर्माण कर सफल संचालन कर सकते हैं।
स्वयं सहायता समूह कब बना या अस्तित्व में आया
बांग्लादेश में 1970 में गरीबी को मिटाने एवम्ं जनसाधारण की आर्थिक उन्नति के लिए एक प्रोफेसर ने इस विचार धारा को को बांग्लादेश ग्रामीण बैंक रुप में व्यक्त कर लोगों तक पहुचाने का प्रयास किया गया।
भारत में आर्थिक उदारीकरण के दौरान 1990 के दशक में नाबार्ड के माध्यम से इसे विशेष प्रोत्साहन दिया गया।
समूह का स्वरुप
इसका हमारे द्वारा बनाया हुआ एक साधारण किन्तु शक्तिशाली स्वरुप होता है। जो सदैव प्रत्येक सदस्य के लिए एक सहयोगी के रुप में कार्य करता है।
इसके सफल संचालन के लिए कुछ खास नियम और व्यवस्थाऐं होती हैं। जो स्वयं हमारे द्वारा बनाई एवम्ं तैयार की जाती हैं।
SHG के सदस्यों की संख्या
मुख्यता इस स्वयं वित्त पोषित ईकाई में सदस्यों की संख्या कम से कम 10 से लेकर अधिकतम 20 सदस्य होते है। क्योंकि यह छोटी ईकाई होती है। 20 सदस्यों से जादा होने पर इसका स्वरुप बदल सकता है।
एक समान बचत राशि का निर्धारण
सभी इच्छुक सदस्यों के लिए एक समान बचत राशि का निर्धारण किया जाना चाहिए। इस प्रकार से इसके संचालन में सरलता रहती है।
स्वयं सहायता समूह का गठन व संरचना
साधारणतया सभी इच्छुक सदस्यों की उपस्थिति में एक सामान्य बैठक में सभी की सहमति से इसका गठन किया जाता है। इस मिटिंग में मुख्य रुप से समूह का नाम और इच्छित सदस्यों की एक संख्या सूची तैयार की जाती है।
एक परिवार से केवल एक ही सदस्य हो तो जादा अच्छा है। इसमें केवल महिलाऐं, पुरुष अथवा दोनों सम्मिलित रुप से हो सकते हैं।
Sowym Sahayta Samuh SHG का पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन
प्रायः इसके पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से नाबार्ड द्वारा इसे विशेष स्वीकृति प्राप्त है।
आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए इसे विशेष सरकारी मान्यता प्राप्त है।
किन्तु इसे ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक एवं नाबार्ड से और शहरी क्षेत्र में जिला शहरी विकास अभिकरण से जरुर ही लिंक करा लेना चाहिए। जिससे आर्थिक सहायता सरलता और शीघ्रता से प्राप्त हो सके।
SHG की नियमावली या नियम व्यवस्था सूची
इसके गठन के तुरन्त बाद ही नियमावली या अपने नियम व्यवस्था की सूची अवश्य ही बना लेना चाहिए। यह नियम व्यवस्था इसके सुचारु रुप से सफल संचालन के लिए अति आवश्यक होती है।
क्योंकि क्या और कैसे करेंगे यह इसमें व्यवस्थित रुप तैय किया जाता है। यह कार्य शैली की रुपरेखा होती है। इसमें समयानुसार परिवर्तन भी किये जा सकते हैं।
पदाधिकार प्रतिनिधि समिति का चुनाव व नियुक्ति
इसके गठन के पश्चात अगली बैठक में पदाधिकारियों या प्रतिनिधि समिति का चुनाव कर सभी सदस्यों की सहमति से की जानी चाहिए। यह प्रतिनिधि समिति ही इसके संचालन और इसकी उन्नति के लिए निर्णय करती है।
मिटिंग एवं बचत राशि जमा करना
बैठकों का निर्धारण ईकाई की सुविधा के अनुसार ही करना चाहिए। यह पाक्षिक अथवा मासिक हो सकती हैं। साथ ही आवश्यकता के अनुसार विशेष मिटिंग कभी भी बुलाई जा सकती है।
एक समान निर्धारित बचत राशि मासिक बैठक में सदस्यों द्वारा एकत्र की जानी चाहिए। इसे आवश्यकता के हिसाब से समूह के पास कैस में या इसके बचत खाते में जमा करना चाहिए।
समूह के नाम से बैंक बचत खाता खुलवाना
इसके गठन के बाद जब मासिक बचत जमा होना आरम्भ हो जाये तो अपने निकटतम वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक एवम्ं जिला सहकारी बैंक शाखा में समूह के नाम से बैंक बचत खाता खुलवाना चाहिए।
बैंक खाता खुलवाने के बाद बैंक से समपर्क बनेगा। और खाते का सुचारु रुप से संचालन के माध्यम से बैंक में अच्छी छवि का निर्माण होगा। और खाता खुलने के छ: माह बाद बैंक से लिंकेज में भी सुविधा होती है।
Shg का बैंक बचत खाता कैसे खुलवाये
इसके लिए सर्वप्रथम बैंक बचत खाता खुलवाने हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करना होगा। जिसमें खाता संचालन का अधिकार प्रतिनिधि समिति के सदस्य अध्यक्ष के साथ कोषाध्यक्ष व सचिव में से कोई एक अथवा तीनों पदाधिकारियों को हो सकता है।
सदस्यों को लोन एवं ब्याज दर निर्धारण
सदस्यों को लोन उनकी आवश्यकता की प्राथमिकता एवम्ं उनकी वापसी की क्षमता के अनुसार ही प्रदान करना चाहिए। वापसी का समय व किस्तों के निर्धारण उनके समयानुसार भी किया जा सकता है।
यह राशि समय पर ना आने के कारण कुछ अतिरिक्त शुल्क फाइन के रुप में जोडा जा सकता है। यदि सम्भव हो तो। ब्याज दर का निर्धारण मासिक अथवा वार्षिक किया जा सकता है।
संचालक प्रतिनिधि समिति के दायित्व
इसे आगे बढाने के लिए प्रत्येक सदस्य की सामूहिक रुप से बराबर जिम्मेदारी होती है। किन्तु इसके उचित संचालन प्रतिनिधि समिति को कुछ विशेष अधिकार प्रदान किये जाते हैं।
अध्यक्ष के कर्तव्य
- इसे आगे बढाने के सदैव सार्थक प्रयास करते रहना प्रमुख कर्तव्य है।
- सुचारु रुप से संचालन के लिए इसके हित में निर्णय करना अथवा कराने में सहयोग करना।
- बैठकों की अध्यक्षता करना।
- सम्पूर्ण ईकाई की देख रेख करना और जमा राशि को सुरक्षित रखना।
- सदस्यों को लोन प्रदान करने में पारदर्शिता बनाये रखना।
- विशेष मिटिंग को बुलाना।
- बैंक खाते का संचालन कराना।
कोषाध्यक्ष के कर्तव्य
- बचत राशि को सुरक्षित रखवाना।
- बचत एवम्ं लोन सम्बंधित समस्त लेन देन का हिसाब किताब रखना।
- सदस्यों की पास बुक में बचत राशि को अंकित करना या करवाना।
- समस्त ईकाई के संचालन में अध्यक्ष का सहयोग करना।
सचिव के कर्तव्य
- बैठक की कार्यवाही लिखना लिखवाना।
- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कोषाध्यक्ष के माध्यम से मिटिंग को आयोजित कराना।
- बैंक से सम्बंधित कार्य, बचत एवम्ं लेन-देन सम्बंधित हिसाब किताब रखने में कोषाध्यक्ष का सहयोग करना।
रजिस्टर व खातों का रखरखाव
इसके लेन-देन में सभी सदस्यों का व्यवहार साफ स्वार्थ होना अति आवश्यक है। लेन-देन व सभी सदस्यों के खातों का रखरखाव व्यवस्थित होना चाहिए। इससे सभी का भरोसा ढृढ़ होता है।
और बैंक से लोन प्राप्ति में भी सुविधा रहती है। इसके लिए कौन-कौन से कॉपी या रजिस्टर रखना है। इसका निर्णय स्वयं ही करना होगा। इसके लिए कुछ सुझाव हो सकते हैं-
मिटिंग कार्यवाही रजिस्टर
इसमें सबसे पहले सभी सदस्यों की सूची और नियमावली लिखना चाहिए। इसके बाद मासिक एवंम् विशेष बैठकों के निर्णयों को लिखना चाहिए। जिससे सुचारु रुप इसके से संचालन में पारदर्शिता बनी रहे।
बचत एवं लोन रजिस्टर
बचत एवं लोन लेन-देन का हिसाब रखने के लिए एक बचत रजिस्टर या कैश बुक में किया जा सकता है। इसमें भी सभी सदस्यों कीसूची के बाद मासिक बचत और लेन-देन को लिखा जाना चाहिए।
साथ ही प्रत्येक सदस्य को दिये गये लोन का हिसाब रखना व खाता बनाना चाहिए। जिसे ठीक प्रकार व पारदर्शित रखना चाहिए।
सदस्य पास बुक
यह पास बुक समूह की ओर से प्रत्येक सदस्य को प्रदान की जाती है। यह बैंक पास बुक की तरह ही होती है। मिटिंग में इसमें भी बचत व लेन-देन का विवरण लिखा जाता है।
मिटिंग में कोषाध्यक्ष के माध्यम से व्यवस्थित कर सदस्यों को वापस कर देना चाहिए। सभी को इसे अपने पास रखना चाहिए।
वार्षिक आय व्यय का हिसाब
इस समस्त लेन-देन के आय व्यय का वार्षिक विवरण भी रखना चाहिए। इससे बैंक लोन में सरलता होती है।
बैंक से लोन की प्राप्ति
इसके गठन के लगभग 6-12 माह बाद आवश्यकता के अनुसार बैंक से लोन भी प्राप्त किया जा सकता है।
समूह से बैंक को लाभ
इसके माध्यम से बैंक को लाभ पहुचता है। बैकिंग सुविधाओं को अधिक लोगों तक बिना अतिरिक्त लागत के पहुचाना सरल हो जाता है। सामूहिक जिम्मेदारी के कारण यह ईकाई प्राथमिकता से लोन वापस करती है।
सभी की अल्प बचत के माध्यम से बैंक में सयुंक्त बचत राशि से लेन-देन होता है। इससे बैंक की छवि जनमानस में बडती है। और बैंक प्रबंधन का भी सम्मान होता है।
सामाजिक लाभ
इसके सभी संगठित सदस्यों के माध्यम से अच्छे समाज का निर्माण होता है। सामाजिक सुरक्षा की भावना बडती है। एवम्ं कुरीतियों में कमी होने से जीवन स्तर में सुधार होता है।
जिससे महिलाओं की विकास में सहभागिता भी बडती है। अतः इसको भली प्रकार से चलाने के लिए नियम स्वयं ही बनाने पडते हैं।
विकसित और सुचारु रुप से संचालित Sowym sahyta samuh के माध्यम से सामाजिक उत्थान हेतु आगे बड़कर सामाज की उन्नति के कार्यों में भी स्वैच्छिक रुप से सहयोग प्रदान किया जा सकता है। जिससे एक साफ, स्वच्छ एवम्ं स्वास्थ्य समाज का निर्माण भी हो सके।
अत: आज हम सभी ने Self help group shg kaise bnaye,स्वयं सहायता समूह कैसे बनायें यह विस्तार पूर्वक जान लिया है। साथ ही यह इकाई कैसे कार्य करता है इसे भी अच्छे से समझ लिया है
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