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सहकारी समिति कैसे बनाये|Sahkari samiti kaise bnaye

सहकारी समिति कैसे बनायें|Sahkari samiti kaise bnayen

बहुत से लोग कुछ कार्यों को मिलकर सहकारिता के माध्यम से करना चाहते हैं। उन्हें सहकारी समिति कैसे बनायें|Sahkari samiti kaise bnayen जिसका मतलब सह+कार्य=सहकार अर्थात जो कार्य कई लोगों के सहयोग से सयुंक्त रुप से

मिलकर एक संगठन के रुप में इक्कठे होकर लाभ कमाने के लिए अथवा समाज की उन्नति के लिए किया जाता है। इसी को सहकारिता Cooperative सोसाइटी या सहकारी समिति कहते हैं।

सहकारी समिति का गठन कैसे करें

सहकारी समिति कैसे बनाये यह जानकर इसको बनाने के लिए कम से कम 21 सदस्यों का होना अति आवश्यक है। इससे कम लोगों में इसका निर्माण पूरा नहीं हो पायेगा।

इन सभी सदस्यों का होना आवश्यक है। तभी हम सफलता पूर्वक इसे बना पायेंगेइसमें अधिकतम सदस्यों की कोई निश्चित संख्या निर्धारित नहीं है। यह असिमित भी हो सकती है।

किन्तु इसके संचालन के लिए एक विशेष संचाक समिति होती है। जो इसका सफल संचालन करती है। इसके हित में विचार विमर्श करती है। साथ ही निर्णय लेती है। और वह इसकी उन्नति के लिए सदैव प्रयास करती है

इसके सुव्यवस्थित प्रबंधन से उन्नति की ओर अग्रसर होकर समाज में नये कीर्तिमान स्थापित करती है। जो समाज के लिए प्रेरणा स्रोत के रुप में कार्य करता है

साथ ही साथ युवाओं को नये अवसर प्रदान कर अपनी ऊर्जा का सद उपयोग कर उनकी योग्यता सिद्ध करने के लिए विशेष मंच भी प्रदान करती है

सहकारी समिति कौन बना सकता है

इस को समिति कोई भी बना सकता है। वह चाहे महिलाऐं हों, पुरुष हों अथवा महिलाऐं और पुरुष संयुक्त रुप से भी बना सकते हैं। किन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो भी लोग इसके निर्माण के लिए प्रयास करें।

वह मिलकर कार्य करने में सक्षम हों। उन सभी निर्माण कर्ताओं में एक दूसरे के प्रति सहयोग कोओपरेशन की भावना जरुर होनी चाहिए ही चाहिए

सहकारी समिति का पंजीकरण कहां और कैसे कराया जाता है

इन इकाईयों और समितियों का पंजीकरण सहकारिता विभाग में कराया जाता है। इसके कार्यकाल जिला स्तर और मण्डल स्तर पर होते हैं। जहां इसका पंजीकरण आवश्यक शुल्क जमा करके सरलता से कराया जा सकता है

इसके लिए आवश्यक कम से कम 21 सदस्यों की सूची, उनके पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र और पासपोर्ट आकर के कलर फोटो आवश्यक है। समिति का नाम स्पष्ट रुप से निश्चित कर रखना चाहिए।

जिससे की उस नाम के अनुसार समिति पंजीकरण की प्रक्रिया के कार्य को आगे बडाया जा सके। साथ ही साथ स्पष्ट और सुव्यवस्थित नियम व्यवस्था संविधान और कार्य का स्वरुप एवम्ं उद्देश्य की सूची वायलौज तैयार करना चाहिए

जिससे आवश्यक शुल्क के साथ पंजीकरण कार्यकाल में प्रस्तुत करना चाहिए। जिससे कि यह प्रक्रिया शीघ्र अति शीघ्र सफलता पूर्वक पूरी हो सके।

Multi state sahkari samiti ka registration-multi state cooperative society registration
सहकारी समिति कैसे बनायें

इसके साथ ही समिति के नाम से पंजीकरण प्रमाण पत्र शीघ्र ही प्राप्त हो सके। पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी होने के समय से ही यह अस्तित्व में आ जाती है। अर्थात इसकी आयु शुरु हो जाती है। और इसी के साथ cooperative का कार्य आरम्भ किया जा सकता है

मल्टीस्टेट सहकारी समिति का पंजीकरण कहां कराया जाता है

मल्टीस्टेट सहकारी समिति का पंजीकरण कराने के लिए सभी जरुरी पेपरों को दो प्रतियों में तैयार कर प्रार्थना पत्र कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सहकारिता प्रकोष्ठ में जमा किया जाता है।

और आवश्यक प्रक्रिया के कुछ दिनों के बाद मल्टीस्टेट कोओपरेटिव सोसाइटी के नाम से पूरे देश में कार्य करने के लिए देशव्यापी राष्ट्रीय स्तर की समिति का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जारी करके प्रदान कर दिया जाता है

मल्टीस्टेट सहकारी समिति का पंजीकरण कैसे कराया जाता है

बहुराज्यीय कोओपरेटिव सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सबसे पहले दो या दो से अधिक राज्यों से 100 सदस्यों की सूची तैयार करना बहुत जरुरी है। जिसमें पचास सदस्य सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कराने वाले मूल राज्य से होने चाहिए

इन सभी सदस्यों का पहचान पत्र,निवास प्रमाण पत्र की प्रति के साथ सभी सदस्यों की एक सूची क्रम से सदस्यों के नाम, पता, आयु, व्यवसाय, राष्ट्रीयता और अंश कैपिटल के कालम वाली लिस्ट स्पष्ट रुप से बनाने के साथ एक और पदनाम, नाम और हस्ताक्षर की सूची बना लेनी चाहिए।

इसको चलाने के लिए एक प्रतिनिधि संचालक मंडल गठित कर इसका एक अच्छा सा नाम निश्चित कर लेने के बाद इसे सुचारु रुप से चलाने के लिए बैंक में इसके नाम से बैंक खाता खुलवाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए

और जल्द ही खाता खुलवा कर पासबुक एवं बैंक अंश जमा पूंजी का एक प्रमाण पत्र जारी करता है उसे भी प्राप्त कर लेना चाहिए। क्योंकि यह पासबुक व प्रमाण पत्र रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक होता है

आवेदन पत्र, प्रस्ताव, वायलाज, पासबुक, अंश जमा पूंजी प्रमाण पत्र, पदनाम, नाम और हस्ताक्षर की सूची, सदस्यों के नाम, पता, आयु, व्यवसाय, राष्ट्रीयता, पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र इन सभी कागजों के दो अलग अलग सैट तैयार कर पंजीकरण अधिकारी के सामने जमा करके कराया जाता है

राज्य स्तरीय सहकारी समिति का पंजीकरण

प्राइमरी, मल्टीस्टेट समिति की तरह ही प्रदेश स्तरीय कोओपरेटिव सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन भी कराया जाता है। इसके लिए राज्य के सहकारिता कार्यालय में उपयुक्त की ही तरह पेपर तैयार कर आवेदन करके कराया जाता है

सहकारी समितियों के नियम

इसके कुछ निश्चित नियम व्यवस्थाओं के अलावा इकाई के स्वरुप और उद्देश्यों के अनुसार नियमों को निश्चित किया जाना चाहिए। आवश्यकता के अनुसार इसके कुछ नियमों में संशोधन किया जा सकता है

सफल रुप से संचालन,उन्नति के लिए नये नियमों को लागू किया जाना चाहिएइकाई के उद्देश्यों को भी इस सूची में स्पष्ट रुप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जिनके आधार पर सोसाइटी का संचालन और कार्य किया जाना चाहिए

जिससे इकाई की उन्नति के लिए आगे बडाया जा सके। और समाज हित के साथ साथ लाभ कमा सकें। जिससे इकाई के साथ ही इसके सदस्य आर्थिक रुप से समपन्न हो सकें। और राष्ट्र के विकास में अपना अमूल्य योगदान निरन्तर प्रदान करते रहें

इसी से इस इकाई का उद्देश्य पूर्ण हो पायेगा। और युवाओं के साथ अन्य लोगों के लिए प्रेरणा मिलती रहे। इस प्रकार इसका अधिक से अधिक उपयोग कर समाज लाभान्वित हो। यही इसका एक प्रमुख उद्देश्य भी है

सहकारी समितियों के चुनाव और नियम

यह चुनाव एक प्रकार से अप्रत्येक्ष चुनावों का ही स्वरुप होता है। क्योंकि इन चुनावों में जनता सिधे तौर पर हिस्सा नहीं लेती है। इसमें केवल इसके सदस्य ही भाग लेते हैं

इसके साथ ही इन चुनावों में मतदान कर सकता है। और इसमें एक प्रत्याशी के रुप में प्रतिभागी बनकर भी भाग ले सकता है। इन चुनावों में चुने गये प्रतयाशीयों का कार्यकाल भी पांच वर्ष का ही होता है। जो भी इसके अच्छे जानकर हैं

उनके लिए इनका आम चुनावों से भी कहीं अधिक होता है। और वह इनमें विशेष उत्साह से और बढ चढकर लेते हैंप्रत्याशी इन चुनावों में विजय प्राप्त करने के लिए अत्यंत ही जोर शोर से प्रचार प्रसार करते हैं

और अपनी सम्पूर्ण शक्ति के साथ मैदान में उतरते हैं क्योंकि जनसाधारण की उपेक्षा वह जानकर लोग इसके महत्व से भली भांति परिचित होते हैं। और इसका पूर्ण लाभ भी लेते हैं

सहकारिता चुनावों के नियम

जैसे कि-

  •  मतदान के लिए भी इसकी मतदाता सूची में नाम अंकित होना।
  • मतदान के समय कोई भी निर्धारित पहचान पत्र भी होना चाहिए।
  • मतदान के लिए आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • प्रत्याशी के रुप में मानसिक रुप से स्वस्थ होना चाहिए।
  • इनमें भी चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।
  • मतदान के पश्चात मतगणना कर विजय प्रतयाशीयों की घोषणा की जाती है।
  • विजय प्रत्याशियों को विजय का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाता है।
  • इनका कार्यकाल भी 5 वर्ष के लिए निर्धारित होता है।

सहकारी समितियों के लाभ

यह लोगों की उन्नति के लिए एक विशेष मंत्र है। जिस कार्य को वह स्ववयं अकेला नहीं कर सकता है। उस कार्य को इसके माध्यम से सरलता से करने में सक्षम हो जाता है

क्योंकि किसी कार्य के लिए जिस आवश्यक पूंजी की आवश्यकता होती है। वह उसके पास नहीं होती है। किन्तु इसमें 21 और उससे अधिक सदस्यों के सहयोग मात्र से वह कार्य सरलता से हो जाता हैउन सभी सदस्यों के माध्यम से वह पूंजी सरलता से एकत्र हो जाती है

जिससे उस योजना को सफलतापूर्वक पूर्ण होने की सम्भावना अधिक बड़ा जाती है। और सदस्यों के सहयोग एवम्ं आत्मबल से वह योजना सफल सिद्ध हो जाती है। जिससे आर्थिक सामाजिक उन्नति के साथ सम्पन्नता में वृद्धि होती है

साथ ही साहस और उत्साह में वृद्धि से उसकी सकारात्मकता में अपेक्षाकृत बहुत अधिक बड़ा जाती है। और वह प्रत्येक कार्य के प्रति पूर्ण रुप से निश्चिन्त हो जाते हैं। कि वह उस सम्भावित कार्य को निश्चित रुप से सफल करेंगे

नई सहकारी नीति

केन्द्र सरकार जल्द ही इस वर्ष नई सहकारी नीति लागू सकती है। जिस पर केन्द्र की संसदीय समिति कार्य कर रही है। और इसके शीघ्र ही पूर्ण होने की सम्भावना है।

अत: हम सब ने इस प्रकार से सहकारी समिति कैसे बनायें|Sahkari samiti kaise bnayen इसको जानने का प्रयास किया। अत: इसे सरलता से एक सी भावना और मिलजुल कर कार्य कर सकने वाले लोगों के सहयोग से इसे बना सकते हैं। और इसका पूर्ण रुप से लाभ ले सकते हैं। यह इसकी अद्भुत शक्ति होती है।

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