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Ngo kya hai aur kaise bnaya jata hai

Ngo kya hai aur kaise bnaya jata hai

सामाजिक संगठन समाज सेवी स्वयं सेवी संस्था यह वह हैं जिनकी समाज में निस्वार्थ भाव से काम करने को जरुरत पडती है। तो इसी क्रम में Ngo kya hai aur kaise bnaya jata hai आज हम सबको बहुत ही सरल तरह से जाने और समझेंगे

Ngo ka full form kya hai

यह एक

गैर सरकारी संगठन Non Government Organization होती है।

जो एक स्वतंत्र और स्वयं के माध्यम से लोगों और समाज हित में निस्वार्थ भाव से सदैव कार्य करने के लिए बनाया जाता है। यह संगठन बिना किसी प्रति फल की इच्छा से कार्य करतीं हैं। यह गैैर लाभ की संस्थाऐं होती हैं।

इसका निर्माण कोई भी साधारण-साधारण व्यक्ति कर सकते हैं। यह एक स्वैच्छिक संस्था होती है। इस स्वैच्छिक संस्था के निर्माण के लिए कम से कम सात अथवा ग्यारह लोगों की जरुरत होती है।

इसमें साधारण सदस्यों की संख्या असंख्य हो सकती है। इसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है। सामाजिक हित के उद्देश्य से इसमें कोई भी व्यक्ति सरलता से सदस्य बन सकता है

Ngo kya hai aur kaise kam krta hai के विषय में जानकारी

समाज सेवी संस्थाओं एवं एनजीओ अन्य शब्दों में- एक मत और एक सी विचार धारा के लोग ही एक सशक्त एवम्ं स्वास्थ संस्था का निर्माण कर सकते हैं

यह इसकी सबसे पहली प्राथमिकता है। इसे इस प्रकार सरल भाषा में परिभाषित  किया जा सकता है।

सामाजिक संगठन या Ngo के नियम

इसके नियम आवश्यक रुप से निश्चित अथवा पहले से निर्धारित नहीं होते हैं। इन्हें संस्था के स्वरुप और प्रकृति के अनुसार संस्था के प्रबंधन समिति के माध्यम से ही निश्चित किये जाते हैं। जैसे कि-

  • प्रत्येक सदस्य इसकी व्यवस्थाओं के अनुसार ही कार्य करेगा।
  • इसके विषय में कभी भी दुष्प्रचार नहीं करेगा।
  • इसकी व्यवस्थाओं का अनुसरण सदैव ही प्रत्येक सदस्य निष्ठा पूर्वक करेगा।
  • इसके माध्यम से सामाजिक हितों की पूर्ति हेतु सदस्य स्वैच्छिक रुप से कार्य करेगा।

इसी प्रकार से इनके लिए नियमों का निर्धारण आवश्यकता के अनुरुप आपस  में चर्चा करके सरलता से निश्चित किये  जा सकते हैं।

यह स्वयं संस्था की व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर ही निर्धारित करना चाहिए।

सामाजिक संगठन समाज सेवी स्वयं सेवी संस्थाओं के उद्देश्य

इन संस्थाओं के उद्देश्य प्रमुखता से सामाजिक हित की दृष्टि से ही होते हैं। जैसे कि-

  • सामाजिक उत्थान के लिए
  • सामाजिक सशक्तिकरण
  • जन जन तक शिक्षा को उपलब्ध करना
  • पेयजल की उपलब्धता के लिए
  • आर्थिक उन्नति
  • स्वालम्बन व आत्मनिर्भरता
  • स्वच्छता
  • प्रकृति की रक्षा
  • पर्यावरण की सुरक्षा
  • वनो के संरक्षण हेतु
  • सांस्कृतिक प्रचार प्रसार
  • जल संरक्षण
  • भूमि संरक्षण
  • स्वास्थ्य की सुरक्षा
  • गरीबी उन्मूलन बचपन के संरक्षण हेतु
  • कुपोषण का उन्मूलन
  • जीवन स्तर को सुधारने हेतु
  • स्वास्थ्य समाज निर्माण
  • सामाजिक बुराईयों के उन्मूलन हेतु

संस्था ngo का स्वारुप और संरचना

इसके सफल संचालन के लिए एक सार्व भौमिक और सर्वमान्य संचालक प्रतिनिधि समिति का निर्धारण करना चाहिए। जिसके माध्यम से इसके संचालन को गति प्रदान की जा सके।

और कार्य काल समाप्त होने के साथ ही समिति का चुनाव कराना आवश्यक होता है। चुने जाने के पश्चात संचालक अपने अपने दायित्वों के अनुसार कार्य भार सम्भालते हैं। और सामाजिक हितों को आगे बढाने हैं।

Ngo ka registration

इस समस्त प्रक्रिया के बाद संस्था के पंजिकरण के लिए अपने जिला या मंडल स्तर के संस्था फर्म सोसाइटी पंजिकरण  कार्यालय में आवेदन करना चाहिए।

इसके लिए निर्धारित शुल्क को जमा करा कर सरलता से लगभग दो हफ्ते में कराया जा सकता है। इसके लिए जरुरतों को पूरा करना होता है जैसे कि-
  • कम से कम 7 सदस्यों की सूची जो 11 भी हो सकते हैं।
  • जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, मंत्री, और साधारण सदस्य होते है।
  • इसमें आवश्यकता के अनुसार उपसचिव व उप मंत्री भी हो सकते हैं।
  • साधारण सदस्यों की कोई निश्चित संख्या नहीं है यह असीमित भी हो सकते हैं।
  • पहचान पत्र एडरेस प्रुफ और कलर फोटो।
  • वायलौज नियमावल।
  • कार्यालय का विवरण और किरायनामा अथवा मालिकाना अधिकार का प्रमाण।
  • आवश्यक रजिस्टर जैसे- मिटिंग, कार्यवाही, स्टाक रजिस्टर आदि।
  • संस्था के नाम की मोहर।
  • एक संस्था Ngo के Registration के लिए इन सभी आवश्यकताओं को पूरा करना जरुरी होता है।
इस सभी प्रक्रिया के बाद कुछ ही दिनों में इसके नाम से रेजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है। और उसी समय से यह NGO अधिकारीक रुप से अस्तित्व में आ जाती है। अर्थात उसी समय से इसकी आयु शुरु हो जाती है।

NGO का रिन्यूवल कैसे होता है

NGO का रिन्यूवल करवाने के लिए इसके प्रत्येक रिकॉर्ड का व्यवस्थित अपडेट होना बहुत ही जरुरी होता है। यह नवीनीकरण आने वाले पांच वर्षों के बाद होता है।

Ngo kaise bnayen
एनजीओ क्या है और कैसे काम करता है

इसको करवाने के लिए बैलेंस सीट, बैंक डिटेल के साथ तैय रिन्यूवल फीस और सभी रिकॉर्ड रजिस्ट्रारों को पंजीकरण कार्यालय में जमा करके कराया जाता है।

संस्था ngo का बैंक खाता

इस सबके पश्चात इसका का बैंक खाता अपने निकटतम बैंक शाखा में संस्था के पंजिकृत नाम से खुलवाना चाहिए।
जिसमें इसके संचालन का आधिकार पारित प्रस्ताव के माध्यम से तैया की गई संचालक समिति के अध्यक्ष कोषाध्यक्ष व सचिव अथवा अध्यक्ष के साथ इनमें से किसी एक को अधिकृत करना चाहिए।

बैठकें और रिकॉर्ड

इसकी व्यवस्थाओं के अनुरुप मासिक और तिमाही बैठकों का आयोजन किया जाना चाहिए। 2/3 सदस्यों की सहमति से प्रस्तावों को पास किया जा सकता है।
  
साथ ही आवश्यक रुप से एक वार्षिक बैठक का आयोजन किया जाना भी निश्चित करना चाहिए। बैठकों में लिए गये निर्णयों और नियमों को कार्यवाही रजिस्टर में लिपिवध भी अवश्य करना चाहिए।
और इसके समस्त आय व्ययों के हिसाब किताब को स्पष्ट रुप से रखना चाहिए। जिससे पार्दर्शिता बनी रहे। वित्त वर्ष के अनुरुप इसके आय व्यय के वार्षिक लेखा जोखा के विवरण को भी स्पष्टता से रखना आवश्यक होता है।

जिससे इसके आय व्यय को आवश्यकता के अनुरुप पंजिकरण कार्यालय से प्रमाणित कराया जा सके।

क्योंकि इसके समस्त आय व्यय स्वयं के साथ अन्य सामाजिक लोगों के आर्थिक सहयोग से ही चलते हैं।
 
इसके अच्छे सामाजिक कार्यों को देखते हुए सरकार के माध्यम से इसे आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

इन्हीं कारणों से इसके आय व्यय का  स्पष्ट हिसाब किताब का विवरण रखा जाना चाहिए।

जिससे इसकी छवि सदैव स्वच्छ और उज्जवल बनी रहे। और निरन्तर समाज हित के कार्यों में लगी रहे। यह इसका मूल उददेश्य होता है।

सामाजिक सगठन संस्था एनजीओ NGO के कार्य

इनकी प्रकृति के अनुसार यह संस्थाऐं अनेकों सामाजिक कार्य समाज के  उत्थान और एक स्वस्थ समाज निर्माण हेतु करती हैं। जैसे कि-

1- स्वस्थ समाज निर्माण

इन संस्थाओं के कार्यों और उददेश्यों के मूल में एक स्वस्थ समाज निर्माण की भावना सर्वोपरि रहती है।
यह सभी समाज में जागरुकता के प्रचार प्रसार के लिए विशेष प्रयास करती हैं।
 
जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग बना रहे। और समाज के प्रति गम्भीर एवम्ं जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण हो सके।

2- जीवन स्तर सुधारने के लिए

यह इकाइयां समाज में व्यापत असभ्यता को मिटाकर जीवन स्तर सुधारने के लिए  समाज में लोगों के बीच जाकर उनको बैचारिक दृष्टि से उच्च विचारों को प्राप्त  करने के लिए यह उनमें सदविचारों का प्रचार प्रसार करती हैं।

3- समाज को शिक्षित करने के प्रयास

इन इकाइयों का यह प्रमुख उद्देश्य रहता  है कि वह समाज में व्याप्त अशिक्षा को मिटा कर एक सभ्य और शिक्षित समाज का निर्माण करने में पूर्णरुप से सफल हो सकें।

इसके लिए इनके माध्यम से समाज में अनेकों शैक्षिक प्रयास किये जाते हैं। यह नागरिकों को विभिन्न प्रकार से शिक्षित करने का प्रयास करती हैं।

यह अपने छोटे प्रयासों के माध्यम से निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए अनेकों छोटे छोटे विद्यालयों का संचालन भी करती हैं।

बच्चों के साथ साथ बडों एवम्ं बुजुर्गों को भी शिक्षित और व्यवहारिक रुप से अच्छे आचरण के लिए अपने बेहतर प्रयास करती हैं।

4- पर्यावरण संरक्षण करने हेतु

यह एनजीओ पर्यावरण के संरक्षण हेतु बढ चढकर भाग लेते हैं। समाज में वृक्षारोपण करने के लिए नागरिकों को सदैव प्रेरित करते रहते हैं।

और स्वयं इनके सहयोग से समाज में वृक्षारोपण करते रहते हैं। और इसके बाद इनके संरक्षण के लिए भी प्रेरित करते हैं। जिससे उन वृक्षों की सही देख रेख हो सके।

5- स्वास्थ्य के प्रति नागरिकों को सजग करना

सक्षम और स्वास्थ्य समाज निर्माण के लिए नागरिकों को उनके स्वास्थ्य के प्रति  जागरुक और सजग करने का विशेष प्रयास करती हैं।
क्योंकि स्वस्थ नागरिक ही मिल कर एक स्वस्थ समाज का निर्माण में सफल सिद्ध  होते हैं।

क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ और उज्जवल भविष्य का निर्माण करते हैं। हमारी सरकार भी स्वास्थ्य के लिए    अपने विशेष प्रयास करती हैं।
और इसके लिए योजनाऐं चलाती हैं। यह उन योजनाओं का भी प्रचार प्रसार करती हैं।

6- सामाजिक बुराईयों के उन्मूलन हेतु

समाज की अनेकों कुरीतियों एवम्ं  बुराईयों को धीरे धीरे उन्मूलन करने के लिए यह इकाईयां निरन्तर प्रयास रत  रहती हैं।
इनको कम कर अच्छाईयों को विस्तृत  करने की एक दीर्घ कालीन प्रक्रिया है।  जो इनके माध्यम से गतिमान रहती  है।

7- सांस्कृतिक प्रचार प्रसार

भारतीय संस्कृति विश्व भर में विख्यात है। इसकी ओर विदेशी भी अनायास ही आकर्शित होते रहते हैं। इसलिए इसका  पोषण और संरक्षण भी अति आवश्यक  है।
यह संस्थाओं इसके रक्षण और संरक्षण हेतु अपने विशेष प्रयासों में निरन्तर गतिशील बनी रहती हैं।

8- वनों के संरक्षण के लिए

वन हमारी धरा का सर्वोत्तम आभूषण    हैं। इन्हीं से यह शोभायमान होती रहती  है। इन्हीं से हमें प्राण वायु प्राप्त होती है। जिसके बिना इस भूमि पर जीवन की कल्पना भी असम्भव है।

यह सृष्टि में जीवन का संचार करते हैं। अत: इन संगठनों के माध्यम से वनों के  रक्षण एवम्ं संरक्षण में अति महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है।

9- स्वच्छता के प्रति जागरुकता

हमारी सरकार ने स्वच्छता के प्रति  विस्तृत रुप से स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से बहुत ही सराहनीय और बड़े प्रयास किये हैं। वह इसमें निरन्तर अपने प्रयासों को गतिमान और दृष्टि बनाये हुए है।

यह संस्थाऐं भी स्वच्छता के इस महा अभियान को सक्रिये रुप से आगे बढाने के प्रति सदैव तत्पर रहती हैं। और नागरिकों में इसके लिए जागरुकता का प्रचार प्रसार करती हैं।

10- जल संरक्षण का अत्यंत ही महत्वपूर्ण कार्य

जल भूमि पर जीवन की आधारभूत आवश्यकता है। इसी से हमारा जीवन आगे वृद्धि की ओर अग्रसर होता है।    जल का उपयोग सही प्रकार से करना अति आवश्यक है।

इसको अनावश्यक व्यर्थ होने से रोकना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि पीने  योग्य जल सीमित मात्रा है।
इसे सभी को सदैव याद रखना चाहिए।  इसका उपयोग आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए।

जल ही जीवन है
को ध्यान में रखते हुए। नागरिकों को जल संरक्षण को प्रेरित करने का यह विशेष महत्वपूर्ण कार्य इन संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। जो प्रत्येक दृष्टि से सराहनीय है।

11- गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयास

गरीबी मानव समाज के लिए एक अभीशाप है। इसे भी मिटाना आवश्यक है।
इसे मिटाने के लिए नागरिकों में सकारात्मक भावना का प्रसार कर    उनकों जीवन में स्वालम्बन की ओर    बडने के लिए प्रेरित करने का कार्य भी यह समितियां करती रहती हैं।

12- पेयजल आपूर्ति के प्रयास हेतु

यह इकाईयां पेयजल की आपूर्ति समाज में सत रुप से बनी रहें। इसके लिए  समाज में आवश्यक साधनों को जुटाने    में नागरिकों के सहयोग से प्रयास करती रहती हैं।
  
भूगर्भ जल स्तर को बनाये रखने के लिए लोगों को नदियों एवम्ं तालाबों के  संरक्षण के लिए प्रेरित करतीं हैं।

क्योंकि तालाबों की भूगर्भ जल स्तर को बनाये रखने में विशेष भूमिका है। इसको नकारा नहीं जा सकता है। इनके संरक्षण में हमारी नैतिक जिम्मेदारी के लिए प्रेरित करती हैं।

13- आत्मनिर्भरता के लिए  जागरुकता

यह इकाईयां समाज में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होने के लिए समय समय पर यह विभिन्न प्रकार के जागरुकता कार्य क्रम करती रहती हैं।

14- सामाजिक उत्थान

इन सभी की मूल भावना एवम्ं आधार प्रत्येक प्रकार से सामाजिक उत्थान ही  है। इसी आधार पर इनका निर्माण भी किया जाता है।


5  समाजसेवी संस्थाओं के नाम

राष्ट्र की कुछ प्रमुख समाजसेवी संस्थाओं के नाम जो समाज की सेवा को सर्वोपरि मानते हुए समाज सेवा को सदैव तत्पर रहते हैं जैसे कि-
  • राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
  • नारायण सेवा संस्थान
  • गौरी गोपाल वृद्धाश्रम ट्रस्ट
  • श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्था समिति
  • सेवा भारती
  • रिलायंस फाउंडेशन
  • वृक्षों फाण्डेशन
  • अक्षय पात्र फाण्डेशन

धार्मिक संस्थाओं के उद्देश्य

धार्मिक संस्थाओं का मूल मुख्यता धर्म और संस्कृति का प्रचार प्रसार और धर्म संरक्षण प्रमुख उद्देश्य रहता है। यह इसी कार्य में निरन्तर गतिमान बनी रहती हैं।
 
इनके माध्यम से भी समाज के लिए जन  जागृति के कार्य विशेष रुप से करते रहना ही है। समाज के लिए लगातार लंगर आदि की व्यवस्था जैसे कार्य किये जाते रहते हैं।

इसकी मूल भावना के कार्य सामाजिक उत्थान स्वच्छता पर्यावरण जल संरक्षण शिक्षा संस्कृति सामाजिक कुरीतियों बुराईयों सभ्य एवम्ं शिक्षित समाज और जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण कर उच्च समाज निर्माण के उद्देश्य से ही इनको बनया जाता है।

अत: समाज सेवी संस्था Ngo kya hai aur kaise bnaya jata hai इसके विषय में हमने अच्छी तरह से जान लिया है। जिसे हम अवश्य ही जीवन में बेहतर रुप से क्रियान्वयन कर सकते हैं

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