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Joint liability group jlg kaise bnayen

Joint liability group jlg kaise bnayen|सयुंक्त देयता समूह कैसे बनाये

बहुत से बडे कार्यों को एक साथ टीम के रुप में मिलकर आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए Joint liability group jlg kaise bnayen|सयुंक्त देयता समूह कैसे बनाये आइये जानते हैं।

इसे बनाने के लिए सबसे पहले महत्वपूर्ण ध्यान रखनेे की बात यह है कि इसके सभी सदस्यों की विचारधारा आवश्यकता और उद्देश्य समान हों।

उनकी आर्थिक प्रष्ठ भूमि स्थित एक जैसी ही होनी चाहिए। जिससेे कि वह सभी सदस्यगण सभी सदस्यों के प्रति बराबर का भाव रखतेे हुुए

इसके गठन के उद्देश्य को सफलता पूर्वक जल्दी से जल्दी प्राप्त करने में सफल हो सकें। इसको बनाने के लिए कम से कम 4 और अधिकतम 10 सदस्यों का होना जरुरी होता है।

यह सभी सदस्य एक ही गांव मोहल्ला कालौनी या एक ही बैंक शाखा के कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले होने चाहिए। और कम से कम पिछले एक वर्ष से उस बैंक शाखा क्षेत्र में रह रहे हों

Joint liability group jlg सयुंक्त देयता समूह क्या है

सयुंक्त देयता समूह JLG स्वयं सहयता समूह की तरह 4 से 10 ऐसे निकटवर्ती पडोसी सीमांत लघु कृषक भूमिहीन कृषक अन्य कार्य और जो समान आर्थिक गतिविधियों कर रहे हों सदस्यों का सामूहिक जिम्मेदारी का एक छोटा समूह है।

जिसमें बिना किसी सम्पति के बैंक या वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखे। सभी सदस्यों की आपसी गारण्टी पर वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यही सयुंक्त देयता समूह है

जिसमें सभी सदस्यों का सामूहिक रुप वित्त पोषण करते हुए उन्हें उन्नति प्राप्त करने और उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है

सयुंक्त देयता समूह JLG स्कीम

राष्ट्र व्यापी स्वयं सहायता समूह Self Help Group SHG की सफल परिणामों के विस्तृत अनुभव के बाद यह एहसास किया गया कि SHG के कुछ बडे स्वारुप होने के कारण किसी कार्य विशेष के लिए इसके आम सदस्य जन करने के इच्छुक नहीं होते

या करना ही नहीं चाहते तो उस कार्य के पूर्ण होने में कुछ कठिनाइयां होती हैं। जिसके चलते इसे लघु और सरल करते हुए। इसके कुछ छोटे रुप में JLG की संरचना हमारे समाने उपलब्ध कराई गई।

JLG के सदस्यों के चयन की योग्यताएं

वह सभी एक समान कृषि कार्य फसल उत्पादन गैर कृषि कार्य लघु किसान बटाईदार किसान कृषि श्रमिक भूमिहीन और अन्य लघु कार्य करने वाले लोग मिलकर इसे बना सकते हैं

इन सभी सदस्यों को आपस में पूर्णरुप से भरोषा होना चाहिए। जो इसको बनाने के लिए बहुत ही जादा आवश्यक है।

जिससे एक समान रुप से जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए सहयोग की भावना से अपने कार्यों को पूरा करें। अथवा सयुंक्त से मिलकर काम करते हुए निरन्तर उन्नति की ओर आगे बढते रहें।

  • इसकी रचना में एक परिवार से एक ही सदस्य को सम्मिलित करना चाहिए। जिससे कि स्पष्टता और पारदर्शिता बनी रहे।
  • किसी भी ऐसे सदस्य को सामिल नहीं करना चाहिए जो कि किसी अन्य बैंक का चूक करता हो।
  • इसके सभी सदस्यों को को इसकी गतिविधियों को सुनिश्चित करने के लिए अपनी नियमित और सुचारु तौर से चलाने के लिए गतिशील रहना चाहिए।
  • सभी को इसके नेतृत्व के अपना एक योग्य प्रतिनिधि चुन लेना चाहिए। 

  • जिससे कि वह बैंक और वित्तीय संस्थाओं के सम्पर्क में प्रमुख्य जिम्मेदारी को निभाते हुए समस्त कार्य प्रक्रिया में निरन्तर गतिशीलता बनाये रखते हुए आगे बड़ा सकें।
  • सभी साथियों को इसके सफल संचलन के लिए नियमित रुप से मिलकर इसकी बैठकें मिटिंग। करते रहना चाहिए।
  • नेतृत्व कर्ता को बैंक आदि से प्राप्त विभिन्न जानकारियां सभी को प्रदान करते रहें।
  • आवश्यक नियम और व्यवस्थाओं को जरुरत के अनुसार लिखकर भी रखना चाहिए।
  • सभी सदस्यों को नेतृत्व कर्ता के माध्यम से हिसाब किताब में स्पष्टता और पारदर्शिता बनाये रखें। जिससे इसके साथ सभी साथियों की गुडविल बडे।
  • बैंक और वित्तीय संस्थाओं को इस इकाई के साथ सहयोग और मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
  • जिससे इकाई के सदस्यों के साथ नेतृत्व कर्ता को कार्य करने में सरलता हो सके।

सयुंक्त देयता समूह JLG का बैंक बचत खाता

जेएलजी के सभी सदस्यों को नियमित तौर पर बचत करना पूर्णतया उनकी इच्छा पर ही निर्भर करता है। यह जरुरी नहीं है कि सदस्यों के माध्यम से बचत की जाये

Joint liability group Jlg kya hai
सयुंक्त देयता समूह कैसे बनाये

यदि अगर उनके माध्यम से बचत की जाये। यह बहुत ही अचछी बात हो सकती है इस इकाई के लिए। इसलिए उन्हें नियमित बचत अपनी क्षमता के हिसाब से करने के लिए अवश्य ही प्रेरित करना चाहिए।

यह इसके संचालन के लिए एक अच्छी और सहायक बात सिद्ध होगी। और यदि इस लघु इकाई के माध्यम से बचत करना भी शुरु कर दिया जाता है
तो निकटतम बैंक बैंक शाखा में सभी के माध्यम से निश्चित किये गये इसके नाम से एक बचत खाता अवश्य ही खुलवा लेना चाहिए।

जिसमें कम से कम इसके 2 सदस्यों को इस खाते के संचालन का अधिकार प्राप्त होने का प्रस्ताव पारित होना चाहिए। जिससे इसकी पूंजी के रख रखाव में सुविधा भी हो जायेगी।

और पूंजी सुरक्षित भी रहेगी। इसको ध्यान में रखते हुए इसके लिए उन्हें अवश्य ही प्रेरित करना और सुझाव देना चाहिए। जिससे उनकी उन्नति में सहायता हो सके

JLG योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य उसके सदस्यों के माध्यम से सयुंक्त रुप से कृषि कार्य गैर कृषि कार्य और अन्य लघु कार्यो के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना है

जिससे इस समूह के सभी सदस्यों का व्यक्तिगत अथवा सयुंक्त रुप से आर्थिक विकास हो सके। और वह सभी लोग अच्छे स्तर का जीवन प्राप्त कर सके

JLG को कौन कौन बना सकता है

  • इसे वह कृषक बन्धु जिनके पास बहुत ही कम कृषि भूमि है
  • भूमिहीन जिनके पास अपनी स्वयं की कृषि भूमि नहीं है
  • बटाईदार किसान
  • लगान या किराये पर खेती करने वाले
  • अन्य छोटे छोटे कार्य करने वाले एक जैसी आर्थिक स्थिति के लोग
  • सामान्य व्यक्ति अथवा
  • स्वयं सहायता समूह
  • गैर सरकारी संगठन NGOs
  •  सहकारी समितियां
  • प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां Primary Agriculture Cooprative Societies-PACS
  • कृषि विज्ञान केन्द्र
  • किसान क्लब
  • किसान संगठन
  • कृषि विश्वविद्यालय
  • कृषि महाविद्यालय
  • कृषि विभाग
  • कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेन्सी
  • सहकारिता विभाग
  • अन्य लघु श्रमिक संगठन
  • बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान
इसे बना सकते हैं और इन्हें बनाने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं। किन्तु इसके लिए पहले नाबार्ड से आधिकारिक तौर पर अनुमति प्राप्त कर लेना चाहिए

सरकार नाबार्ड के माध्यम से इनके प्रोत्साहन के लिए ₹4000/- तक की अनुदान राशि भी प्रदान करती है। जो इनके विकास के लिए सहायक होती है।

JLG को वित्तीय सुविधा का प्रकार समय और ब्याज दर

इस इकाई को कम से कम ₹50,000 से ₹5,00,000/- (यह वित्त पोषण यानी के लोन राशि अधिक भी हो सकती है) तक की बैंकों या वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से बिना किसी गारण्टी के सदस्यों की सामूहिक गारण्टी के आधार पर प्रदान की जाती है।

और यह लोन इस सयुंक्त समूह को उसकी आवश्यकता के अनुसार दिया जाता है। ना कि उसकी बचत के आधार पर। यदि बचत की जाती है

क्योंकि यह पहले ही कहा जा चुका है कि बचत करना सभी सदस्यों की इच्छा पर निर्भर करता है। यह लोन नकद अल्प समय और जादा समय के लिए दिया जाता है।

इसमें ब्याज दर कृषि लोन वाली ही रखी जाती है। और इस पर भी भारत की केन्द्रीय सरकार के माध्यम से 2% की छुट प्रदान की जाती है

साथ ही एक वर्ष के अन्दर वापस कर देने पर 1% की अलग से प्रोत्साहन सहायता भी दी जाती है। और समय समय पर सरकार के दिशा निर्देशों का भी पालन किया जाता है

इसमें यह भी व्यवस्था कि गई है कि यदि कोई सदस्य कि वापसी की निर्धारित तैय किस्त चुकाने में असमर्थ है तो अन्य सभी सदस्यों को वह शेष किस्त की राशि मिलकर चुकानी होगी

सभी सदस्य मिलकर इसके लिए नियम बनायेंगे कि प्राप्त वित्तीय सहायता के लिए सामूहिक रुप से सभी सदस्य और व्यक्तिगत तौर पर भी जिम्मेदार होंगे

सरकार की प्राथमिकता के अनुसार इन इकाईयों को माइक्रो ऋण व्यवस्था के अन्तर्गत रखा जायेगा। इसके प्रत्येक सदस्य के हिसाब से अधिकतम ₹50,000/- तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी।

इन सभी सदस्यों को बैंक और वित्तीय संस्थाएं कुछ व्यवस्थाओं के आधार पर व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कबर भी प्रदान कर सकती हैं

साथ ही साथ भारतीय कृषि बीमा कम्पनी के माध्यम से समस्त भारतवर्ष में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत सभी किसानों बटाईदारों पट्टदारों को निर्धारित फसलों के लिए फसल सुरक्षा बीमा भी प्रदान की जाती है

JLG और SHG में मुख्य अन्तर और विशेषताएं

इन दोनों में मुख्य तौर पर कुछ अन्तरों और विशेषताओं को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है-

JLG के आधार पर

  • मुख्य तौर पर JLG लोन आधारित होता है।
  • इसका स्वारुप कुछ छोटा होता है।
  • इसकी सदस्य संख्या 4 से अधिकतम 10 तक होती है।
  • यह सभी सदस्य खुद ही बैंक और वित्तीय संस्थाओं से सम्पर्क करते हैं।
  • इसकी विचार धारा को SHG के बाद लाया गया।
  • यह इकाईयां अर्थव्यवस्था में सिधे और अधिक मात्रा में पैसों को प्रवाहित करती हैं। क्योंकि इनकी व्यवस्था लोन के आधार पर चलती है।
  • यह निर्धनता को हटाने में जादा सहायता करते हैं।

SHG के आधार पर

  • जवकि SHG मुख्तार बचत आधारित होता है।
  • इसमें सभी सदस्यों को बचत करना जरुरी है।
  • यह जेएलजी से जादा बड़ा समूह होता है।
  • इसमें बचत की गई राशि से आपस में आन्तरिक लेन देन स्वयं किया जाता है। जिस पर आपसी सहमति पर 1-2% तक ब्याज दर तैयार की जा सकती है।
  • इसके सदस्यों की संख्या कम से कम 10 और अधिकतम 20 तक होती है।
  • इसमें बैंक बचत खाता आवश्यक तौर पर खुलवाया जाता है।
  • इसमें संचालक प्रतिनिधि समिति या मंडल बैंक से सम्पर्क करते और सभी लेन देन करते हैं।
  • इसमें मासिक या पाक्षिक या विशेष मिटिंग कर यह सभी लेन देन किये जाते हैं।
  • बचत बैठक और आपसी लेन देन इसके मुख्य तत्व हैं।
  • यह समय समय सामाजिक कार्यों में भी भाग लेते हैं।
अतः आज हमनें इस लेख से सयुंक्त देयता समूह कैसे बनाये Joint liability group jlg kaise bnayen सयुंक्त देयता समूह कैसे बनायें और यह क्या है इसके विषय में विस्तार से इसकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने का विशेष प्रयास किया है।

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