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Upper aur lower circuit kya hai|अपर और लोअर सर्किट क्या है

Upper aur lower circuit kya hai

हम पिछले आर्टिकल में ट्रेडिंग के विषय में अच्छे से जान ही चुके हैं आइये अब Upper aur lower circuit kya hai अपर और लोअर सर्किट क्या है और कैसे काम करता है के बारे में भी विस्तृत तौर पर जानते हैं। जो इस मार्केट में हमारी लम्बी उडान के लिए एक महत्वपूर्ण चैप्टर है

किसी भी स्टॉक में मुख्य रुप से 2%, 5%, 10% और 20% अपर और लोअर सर्किट होता है। यह शेयर में कब और कैसे लगाया जायेगा इसे Stock Exchange तैय करते हैं। इन सर्किट लिमिट को एक्सचेंज एक ही दिन में एक से जादा बार स्थिति के हिसाब से लगा सकता है।

प्रायः यह बाजार कई स्टॉक में लगते रहते हैं। कभी कभी कारोबार शुरु होते ही कई प्रतिभूतियों में इसी के साथ ओपन होते हैं। और पूरे कारोबार के दौरान वह इसकी लिमिट के साथ बना रहता है

यदि एक्सचेंज उस शेयर की सर्किट लिमिट को बडा दे तो इसी के साथ उसमें ट्रेडिंग फिर से शुरु हो जाती है। किन्तु यह भी जरुरी नहीं है कि एक्सचेंज के माध्यम से इसे लिमिट को बनाया ही जाये। बडाया भी जा सकता हैं यदि एक्सचेंज को ऐसा करना आवश्यक लेगे तो ही

यदि किसी शेयर में up या down सर्किट लग जाये तो उसमें ट्रेडिंग कुछ घण्टे अथवा उस ट्रेडिंग दिन के लिए बन्द हो जाती है। और यदि किसी ट्रेडर ने उस equity में सौर्ट सेलिंग की है और इसी दौरान उसमें सर्किट हिट हो जाता है

तो उस पूरे ट्रेडिंग दिन के लिए उसमें कोई ट्रेडिंग नहीं होगी। और किसी ने शेयर बेचे तो हैं किन्तु खरीद नहीं पायेंगे। इस कारण से वह डिफाल्टर बन जायेंगे। किन्तु यह पोजीशन क्लोजिंग सेशन में सैटल हो सकती है।

Nifty aur Sensex index me upper aur lower curkit

ठीक इक्विटी की तरह ही nifty और sensex इन्डैक्स में भी सर्किट काम करते हैं। इनमें 10%, 15% और 20% का सर्किट लगता है। और यह सेबी की दिशा निर्देश के द्वारा लगाये जाते हैं। यह शेयर बाजार के लिए दिशा निर्देश निर्धारित करने वाला है
  • यदि 01:00 बजे से पहले मार्केट में 10 प्रतिशत ऊपर या नीचे चला जाता है। तो उसमें 45 मिनट तक के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसके बाद 15 मिनट का pre opening session इन्डैक्स में अस्थिरता को दूर करने के लिए चलता है।
इसके बाद बाजार को सामान्य कारोबार के लिए खोल दिया जाता है।
  • यदि 01:00 pm-02:30pm तक 10 प्रतिशत ऊपर या नीचे चला जाता है। तो 15 मिनट के लिए कारोबार बन्द कर दिया जाता है। और इसके बाद 15 मिनट का प्री ओपनिंग सेशन चलने के साथ ही सामान्य कारोबार शुरु हो जाता है।
  • यदि यह 02:30 pm के बाद 10% का अप डाउन होता है तो ट्रेडिंग चलती रहती है। और प्री ओपनिंग सेशन लागू नहीं होता है।
  • ठीक इसी तरह यदि 01:00 बजे से पहले तक मार्केट 15% ऊपर या नीचे के मनोवैज्ञानिक स्तर तक चला जाता है। तो एक्सचेंज में कारोबार को 01 घण्टा 45 मिनट तक स्थगित कर दिया जाता है। फिर इसके बाद 15 मिनट का प्री ओपनिंग सेशन चलने के बाद नौर्मल ट्रेडिंग शुरु की जाती है।
  • इसी श्रृंखला में यदि 01:00-02:00 बजे तक 15% के स्तर तक बाजार up या down हो जाता है। तो फिर से 45 मिनट के लिए कारोबार को रोका जाता है। और 15 मिनट के प्री ओपनिंग सेशन पूरा होने के बाद दुबारा कारोबार शुरु हो जाता है।
  • यदि 02:00 बजे के बाद बाजार में 15% का up down होता है तो बचे हुए दिन के शेष समय तक और प्री ओपन सेशन लागू नहीं होता है।
  • इसी तरह बाजार सुबह खुलने के समय 09:15 से लेकर बन्द होने के टाइम 03:30 बजे तक कारोबार के दौरान किसी भी समय इन्डैक्सों में 20% का मनोवैज्ञानिक स्तर का ऊतार चडाब होता है। तो बचे हुए दिन के शेष पूरे समय के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाती है।

  • इसके बाद अगले दिन ही मार्केट में कारोबार शुरु होता है।

Upper aur lower circuit kaise calculate krte hain

किसी भी शेयर में अगले ट्रेडिंग सेशन में अपर और लोअर सर्किट को लगाने के लिए उसकी Previous closing

Upper aur lower circuit kaise kam krta hai
 अपर और लोअर सर्किट क्या है

price PCP के आधार पर निर्धारित की जाती है। इसी प्रकार से NSE के nifty 50 और BSE के sensex में इन सभी सर्किटों लगाने की गणना की जाती है।

Share aur nifty sensex index me circuit क्यों लगाया जाता है

शेयर मार्केट किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की पिक्चर और स्वास्थ्य के विषय में साफ तौर पर सभी जानकारी देता है। और अनेका अनेक निवेशक यहां अपनी मेहनत की कमाई को निवेश करते हैं

अतः उन सभी निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए यह सर्किट को लगाया जाता है और साथ ही प्री ओपन सेशन को चलाया जाता है। जिससे कि सभी निवेशकों और जादा भारी नुकसान से बचाया जा सके।

क्योंकि कारोबार को प्रभावित करने के लिए बिजनेस के साथ अनेकों राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कारण होते हैं। जिनसे मार्केट कभी कभी बहुत बडी मात्रा में प्रभावित हो जाता है
जिससे निवेशकों को बहुत बडी राशि का नुकसान सहना पड़ सकता है। इसी तरह के लौस से सुरक्षा प्रदान करने के लिए मार्केट में यह विभिन्न तरह के सर्किट लगाये जाते हैं

अब हम सभी Upper aur lower circuit kya hai और यह कैसे काम करता है। इसके विषय में बहुत ही अच्छे से जान और समझ चुके हैं। जिससे कि यहां ट्रेडिंग और वैल्यू इन्वेस्टिंग करके सबसे अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सके। आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं और हैप्पी इन्वेस्टिंग


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