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Company kya hoti hai aur kaise bnaye

Company kya hoti hai aur kaise bnaye|कंपनी क्या होती है और कैसे बनाये

इस लेख में कंपनी के विषय में बहुत अच्छे से जानेंगे और समझेंगे कि Company kya hoti hai aur kaise banaye|कंपनी क्या होती है और कैसे बनाये। 

आज तकनीक और कार्य करने के तरीकों में पिछले समय से अनेकों बदलाव हुए हैं। इन बदलावों व परिवर्तनों ने आवश्यकताओं और बाजार के स्वारुप को बहुत बड़ा और बहुउद्देशीय कर दिया है। 

जो स्थानीय, प्रदेशीय स्तर को पार करते हुए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक का हो चुका है। जिसने सम्भावनाओं को भी अनन्त कर दिया है। 

इस पूर्ण करने के लिए कंपनी जैसी संगठीत और व्यवस्थित इकाई(कंपनी) की जरुरत है। तो आइये इसे विस्तृत रुप से जानते हैं।

company kya hoti hai कंपनी क्या होती है

यह एक समान रुप से व्यवसायीक और आर्थिक उद्देश्यों को सफलता से पूरा करने और लाभ कमाने के लिए नियमों के साथ व्यक्तियों का संगठीत संगठन या ग्रुप है। 

जिसका निर्माण मुख्य रुप से आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ कभी कभी सामाजिक उद्देश्यों को भी पूर्ण करने के लिए किया जाता है।

किन्तु पहले के समय में इसका सरल अर्थ लोगों के सयुंक्त रुप से मिलकर व्यवसायीक चर्चा करने से भी लगाया जाता था। जो इसका सामान्य मतलब होता था। आज इसकी परिभाषा का स्वारुप बदल चुका है।

कंपनी की परिभाषा

यह कुछ लोगों के साथ नियमों का एक ऐसा ढांचा है जिसके माध्यम से आर्थिक व्यवसायीक और सामाजिक जरुरतों को सफल रुप से पूरा करने के लिए है।
यही इसकी उचित और सरल परिभाषा है।

Company kaise banaye | कंपनी का निर्माण कैसे होता है

इसका निर्माण करने के लिए कई प्रक्रियाओं को पूरा करना पड़ता है। जिसमें एक से लेकर सात  सदस्यों की आवश्यकता पड़ती है। सबसे पहले इसका एक नाम तैयार करना पड़ता है। 

जो पहले किसी और के माध्यम से ना रखा गया हो। क्योंकि फिर वह नाम इसे बनाने के लिए मिल नहीं पायेगा। इस कारण से एक सबसे अलग ही नाम रखना या चुनना पडेगा। जो हमें इसे बनाने के लिए मिल सके।

इसके लिए सबसे पहले चुना हुआ नाम स्वीकृति के लिए राज्य कंपनी रजिस्टर को भेजना होता है। जिसकी एक निश्चित फीस या शुल्क भी जमा करना होता है। 

यदि नाम उपलब्ध होता है। यदि उस नाम के उपलब्ध होने की स्वीकृति मिल जाती है। फिर अब नाम उपलब्ध हो जाने के बाद इसके निर्माण की अन्य प्रक्रियाओं को पूरा होगा। किन्तु

कंपनी का नाम तैय करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। 

जैसे कि-
  • चुना गया नाम पहले से उपलब्ध किसी इकाई के नाम से मिलता जुलता नहीं होना चाहिए।
  • किसी समाप्त होने वाली या समाप्त हो चुकी इकाई के नाम से भी ना मिलता हो।
  • तैय किया गया नाम किसी प्रतिष्ठित उपलब्ध इकाई के नाम के अक्षरों को आगे पिछे करके भी ना बनाया गया हो।
  • चुना गया नाम किसी ट्रेडमार्क ™ से भी मिलता ना हो।
  • किसी उपलब्ध इकाई की सहयोगी इकाई के नाम के समान भी ना हो।
  • किसी राष्ट्रीय सम्मान के प्रतीक से भी सम्बंधित ना हो।
  • उसके साथ सहकारी एवं ट्रस्ट से जुड़े कोई शब्द नहीं होना चाहिए।
  • नाम के साथ बैंकिंग, इन्शोरेन्स और फाइनेंस शब्द केवल उस क्षेत्र में कार्यरत इकाई ही रख सकती हैं।
अर्थात कुल मिलाकर रक्षित संरक्षित राष्ट्रीय सम्मान के प्रतीक या किसी प्रतिष्ठित नाम का उल्लंघन ना कर रहा हो
तैय किये गये नाम के स्वीकृति होने के साथ ही रजिस्ट्रेशन की कुछ प्राथमिक आवश्यक तैयारियां करनी होती हैं

company ka registration kaise hota hai कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है

कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कुछ आवश्यक पेपर तैयार करने पडते हैं जैसे कि-
  • पंजीयक कार्यालय से स्वीकृत किया गया नाम
  • सीमानियम या स्मृति पत्र memorandum M.O.A
  • आन्तरिक नियम
  • कम्पनी के प्रबन्धन और निदेशकों की सूची
  • पंजीकृत कार्यालय का नक्शा
  • सभी सदस्यों के पहचान पत्र
  • पैन कार्ड
  • निवास प्रमाण पत्र
  • नवीनतम फोटो
  • कंपनी के नाम की मोहर
  • किसी इकाई में पहले से फिरते तो नहीं है घोषणा पत्र
  • प्रवर्तकों की घोषणा पत्र
पंजीकरण कार्यालय से चुना गया नाम पहले ही स्वीकृत करा लिया गया है।

कंपनी का स्मृति पत्र या सीमानियम मैमोरेंडम M.O.A

इसे बनाने की प्रक्रिया का अगला हिस्सा इसका स्मृति पत्र तैयार करना होता है जिसे कार्पोरेट या व्यवसायीक भाषा में Memorandum of Association M.O.A भी कहा जाता है। यह इकाई का सबसे प्रमुख पेपर होता है। 

इसमें इकाई का स्वीकृति प्राप्त नाम, मुख्य उद्देश्य, अन्य सहयोगी उद्देश्य, कार्यालय का विवरण,पूंजी और कुछ प्रमुख नियम व शर्तों को प्रस्तुत किया जाता है।

यदि यह एक निजी इकाई बना रहे हैं तो 2 या अधिक सदस्यों की सूची, लिमिटेड इकाई है तो 7 या सात से अधिक सदस्यों की सूची के साथ। इसके कार्य करने के क्षेत्र से सम्बन्धित विवरण अन्य सहायक उद्देश्यों की सूची ध्यान और सजगता से तैयार करना चाहिए।

और साथ ही कुछ महत्वपूर्ण नियम व शर्तों को तैयार करना होता है। इसे तैयार करने के बाद सभी सदस्यों के हस्ताक्षर कराना आवश्यक होता है। इस इकाई मोहर को भी लगाना है। 

जिसे स्वीकृत नाम के साथ उस राज्य के कंपनी रजिस्ट्रार Registrar of company R.O.C के कार्यालय में बची हुई सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर जमा करना होगा।

कंपनी के आन्तरिक नियम

इस इकाई के सफल रुप से संचालन, प्रबंधन और स्मृति पत्र मैमोरेंडम आफ एसोसिएशन में लिखे गये महत्वपूर्ण मुख्य उद्देश्यों को सफलता पूर्वक कैसे पूरा किया जाये।

इससे सम्बंधित आवश्यक आंतरिक नियमों और शर्तों को स्पष्ट रुप से तैयार कर लिखा जाता है। यह इसका अगला या दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पेपर होता है।

Company ka registration kaise hota hai-कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है
कंपनी क्या होती है और कैसे बनायें

क्योंकि यह स्मृति पत्र में लिखे गये उददेश्य को प्राप्त करने के लिए ध्यान में रखकर लिखे जाते हैं। जो उद्देश्यों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन ना कर रहे हों। अथवा कोई विरोधाभास कि स्थिति उत्पन्न ना कर रहें हैं। 

और साथ ही कंपनी अधिनियम का पूरी तरह से स्पष्ट रुप से पालन कर रहे हों। जिनके आधार पर इकाई का प्रबंधन एवं संचालन लगातार सुचारु रुप से चलता रहे।

कंपनी के संचालक व प्रबंधक निदेशकों की सूची

बनने वाली इकाई को बहुत अच्छे से चलाने के लिए जितने भी पूर्ण कालिक संचालक और प्रबंधक निदेशकों की नियुक्ति की गई है। 

उन सभी की सूची तैयार करनी होगी। साथ ही इनकी तरफ से इन पदों पर कार्य करने के लिए अपनी तरफ से लिखित सहमति प्रदान करनी होती है। 

जो पंजीकरण के लिए एक पेपर होता है। इसमें इनके माध्यम से ली गई निश्चित योग्यता अंशों शेयरों की संख्या भी इसमें लिखनी होती है

कंपनी के नाम की मोहर

इसके नाम की एक मोहर भी अवश्य बनबानी होगी। जिसे पंजीकरण कराते समय आवेदन पत्र के सभी पेपरों पर इसे आवश्यक रुप से लगाया जाता है
 
पंजीकरण के बाद भी इस मोहर का बहुत उपयोग होता है। इकाई के माध्यम से जो भी पेपर जारी किया जाता है। इसे उस पर लगाया जाता है। बैंक में भी कंपनी के नाम से चालू खाता खुलबाते समय भी इसकी बहुत आवश्यकता पड़ती है।

कंपनी का GST रजिस्ट्रेशन

इस इकाई के पंजीकरण के प्रोसस के समय ही इसके GST रजिस्ट्रेशन के लिए भी आवेदन करना आवश्यक है। जो केन्द्र सरकार की ओर से निशुल्क होता है। और कुछ ही दिन में सरलता से मिल जाता है।

प्रवर्तकों की घोषणा पत्र

इसी के साथ प्रवर्तकों को अपनी तरफ से यह घोषणा पत्र भी जारी करना होता है कि उनके माध्यम से रजिस्ट्रेशन से सम्बन्धित सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया गया है

कंपनी अधिनियम के अनुसार पंजीकरण के 30 दिनों तक पंजीकृत इकाई के रजिस्टर्ड कार्यालय खुलने और स्थापित होने की  सूचना रजिस्ट्रार कार्यालय को प्रदान कर देनी चाहिए

कंपनी का पंजीकरण प्रमाण पत्र

इसके साथ ही यदि रजिस्ट्रार कार्यालय यह चैक करता है कि इसके रजिस्ट्रेशन के लिए अपनाई गई सभी वैधानिक प्रक्रियाएं सही और अच्छे तरह से अपनाई गई हैं। 

तो वह इसका रजिस्ट्रेशन करने के बाद पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान कर देता है। और यह प्रमाण पत्र इस बात का प्रमाण होता है कि इसने पंजीकरण से सम्बन्धित सभी वैधानिक प्रक्रियाओं का बहुत अच्छे से पूरा किया है

इसका रजिस्ट्रेशन होने और प्रमाण पत्र मिल जाने के बाद उसके पंजीकरण से सम्बन्धित अनिमित्ताओं के विषय में कोई भी आपत्ति नहीं की जा सकती है

कंपनी का ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन

इकाई का करोबार शुरु करने के साथ ही इसका अच्छा सा और आकर्षक सा लगने वाला एक ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन भी करा लेना चाहिए।

कंपनी का चालू खाता

इसे बनाने की सभी प्रक्रियाओं के साथ ही इसके नाम से एक चालू खाता भी भी आवश्यक है। इकाई सभी आय व्ययों का हिसाब किताब इसी बैंक खाते से किया जाता है।

कंपनी संचालन के लिए पूंजी की व्यवस्था या सहयोग

कोई भी इकाई जिसके पास कोई भी अंश share पूंजी नहीं है। वह पंजीकरण प्रमाण पत्र मिलने के ठीक बाद ही कारोबार प्रारम्भ कर सकती है। वह चाहे निजी इकाई हो या पब्लिक लिमिटेड हो। 

किन्तु जिस भी इकाई के पास शेयर पूंजी है। उसे कारोबार आरम्भ करने से पहले कुछ बची हुई और प्रक्रियाओं को पूरा करना पडेगा
कंपनी नियमों के अनुसार- जिस इकाई ने अपने अंश इक्विटी को पब्लिक को बेचने के लिए अपनी इकाई की आर्थिक डिटेल को विस्तृत रुप उपलब्ध कराई है प्रोस्पैक्टस माध्यम से। 

उसे अपने शेयर को सूचीबद्ध कराने के लिए कोई परामर्श दाता मर्चेंट बैंकर्स की नियुक्ति करना पडेगी। साथ ही-
  • उन्हें आर्थिक डिटेल प्रोस्पैक्टस को रजिस्ट्रार के पास सम्मिट करना होगा।
  • साथ ही संचालकों के माध्यम से जो भी योग्यता अंश लिये गये हैं उनका नगद मूल्य चुका दिया गया है।
  • उन्होंने इसके लिए सामान्य आवेदकों की तरह ही आवेदन किया है।
  • जारी किये गये शेयरों की राशि न्यूनतम राशि से कम नहीं है।
  • शेयर पूंजी को वापस करने की इकाई की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है।
  • यदि किसी इकाई के पास कोई भी शेयर पूंजी नहीं है। और पब्लिक को शेयर खरीदने के लिए प्रोस्पैक्टस जारी नहीं की है वह अधिनियम के हिसाब से कारोबार शुरु कर सकती है।
  • साथ ही उसे शेयर ट्रांसफर करने की वयवस्था करनी पड़ेगी।
  • वह अपने शेयरों का आवंटन तभी कर सकती है जब उसे प्रोस्पैक्टस में दी गई कम से कम जितनी पूंजी है मिल चुकी हो।
  • संचालकों को यह घोषणा करनी होगी कि इकाई ने सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया है।
  • यदि 120 दिनों तक उन्हें कम से कम पूंजी नहीं मिल पाती है। तो उसे आवेदकों से मिली हुई पूंजी लौटाना पडेगी।

कंपनी का काम शुरु होना

इसे बनाने के समस्त प्रोसेस को पूरा करने में यही एक अंतिम प्रक्रिया बचती है। केवल पब्लिक लिमिटेड इकाई के लिए। उसे कार्य शुरु करने से पहले 
उसे करोबार शुरु करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा

जब पब्लिक सको शेयर खरीदने के लिए आमंत्रण पत्र के रुप प्रोस्पैक्टस को जारी किया। तो उसे रजिस्ट्रार से कार्य शुरु करने का प्रमाण पत्र लेना आवश्यक हो जाता है। 

और यह तभी सम्भव होगा जब संचालक मण्डल यह घोषणा करे कि उन्होंने उपरोक्त सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। और पंजीयक कार्यालय में जमा भी करा दिया है। 

और वह इस घोषणा को चैक करके कार्य शुरु करने का प्रमाण पत्र प्रदान कर देंगेअब कार्य शुरु करने प्रमाण पत्र प्राप्त कर कारोबार को आगे और आगे बड़ा सकते हैं

अब सबने यह बहुत अच्छे से जान और समझ लिया है कि Company kya hoti hai aur kaise banaye | कंपनी क्या होती है और कैसे बनाये इसको बनाकर अपने विचार को व्यवसाय में बदल कर और अधिक लाभ कमा सकते हैं। और अपनी उन्नति के साथ ही अपने देश की उन्नति में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान कर सकते हैं। आपने पढ़ कर समझा इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद! और कारोबार के भी बहुत बहुत शुभकामनाएं।


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